शहर के बीच
मैदान
जहाँ खेलते थे बच्चे
और उनके धर्म घरों में
खूँटी पर टँगे रहते थे
जबसे एक पत्थर
लाल हुआ तो
दूसरे ने ओढ़ी हरी चादर
तबसे बच्चे
घरों में कैद हैं
धर्म सड़कों पर है
और खूँटियाँ सरों पर
अब बड़े खेल रहे हैं
@मुकेश कुमार तिवारी
29-फेब्रुअरी-2019
3 टिप्पणियाँ
29 फ़रवरी 2020 को 8:08 pm बजेजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
01/03/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
सच को समेटे सुन्दर प्रस्तुति
1 मार्च 2020 को 7:14 am बजेवाह!बहुत खूब!
1 मार्च 2020 को 2:17 pm बजेएक टिप्पणी भेजें