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कविता : खेल

शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

शहर के बीच 
मैदान 
जहाँ खेलते थे बच्चे 
और उनके धर्म घरों में 
खूँटी पर टँगे रहते थे
जबसे एक पत्थर 
लाल हुआ तो
दूसरे ने ओढ़ी हरी चादर
तबसे बच्चे 
घरों में कैद हैं
धर्म सड़कों पर है 
और खूँटियाँ सरों पर
अब बड़े खेल रहे हैं

@मुकेश कुमार तिवारी
29-फेब्रुअरी-2019