तुम, यदि बचना चाहते हो और
बचे रहना भी सदियों तक तो
सीख लो आदमी को काटना
ड़र पैदा करों उसकी आँखों में
अपने लिए
कोई ऐसे ही नही जी पाता
उसके साथ
कभी देखा है?
भीमबेटका* की दीवारों पर
भित्तियों में दर्ज
जानवर,
अब
देखने को नही मिलते
मार
दिये.......सब
आदमी ने अपने साथ रखते हुए
(* भीमबेटका भोपाल (म.प्र.) के पास प्रागैतिहासिक गुफायें हैं जिनकी दीवारों पर कई भित्ती चित्र अंकित है)
आदमी,
सीखता
है बहुत कुछ
अपनी उम्र के साथ और बदलता है आदतों को
कभी धर्म के लिए
कभी शौक के लिए
कभी मौज के लिए
लेकिन हर बार केवल तुम ही मारे जाते है
आदमी,
केवल अकेला ही नही करता सबकुछ
बाँटता है तुम्हें कत्ल करने के बाद
जिग़र, भेजे, रान, टाँगों में खुद केलिए
और शेष
जिसे वो नही खाना चाहता
कर देता है तक्सीम यतीमों में
ये भी कुछ तुम्हारी ही तरह होते हैं
इन्सानी शक्लों में
इनके हिस्से में हरबार यही आता है
तुम्हारी,
खालों के लिए अर्थव्यवस्था ने खोल दिये हैं
नये रास्ते
और आदमी को लगता है
खाल तो दी जा सकती है दान
दुनिया के शेष यतीमों के लिए
वैसे भी वो
अब कपड़े नही पहनता है
जिन्दा,
बने रहने के लिए नही सीख पाये
काटना तो
खरीद लो कोई आदमी (बड़े सस्ते दामों में बिक जाता है)
और शामिल करलो
अपनी जमात में
और घूमने दो उसे आँगन में लेंडियाँ करते
मिमियाते
या फैला दो ख़बरें कि
तुम्हें खाने के बाद हो रही कोई बीमारी
(इंग्लैंड में गायों ने आजमाया था ये)
कुछ दिन और बचे रहोगे
अब आदमी अपने बाप की तस्वीर नही रखता घर में
तो तुम्हें क्या बचायेगा
यह जरूरी है कि
तुम सीख लो आदमी को काटना
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 14-ऑक्टोबर-2011 / समय : 11:33 रात्रि / घर