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कविता : उम्मीद

बुधवार, 19 सितंबर 2012

हमारे
बीच उम्मीदों का आस्माँ है
और हमें जोड़ता हुआ
इन्द्रधनुष
जिससे तुम चुनती हो
कोई चटक रंग अपनी पसंद का
और मेरे लिए धूसर
जिन्दगी में अब भी
शेष हैं रंग कई

हमारे
बीच नउम्मिदियों की जमीं है
और अंनत तक फैला हुआ
फासला
मैं बो देना चाहता हूँ
तुम्हारी प्रतीक्षा के बीज 
इस छोर पे
और तुम्हें देने के लिए
एक उम्मीद
जो अब भी अशेष रह आई है जिन्दगी में
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 11-मार्च-2012 / समय : 04:40 दोपहर / घर