मैं
जब तक नही जानता था अपने पंखों को
अन्जान था
आकाश की गहराइयों से
बस
धरती के छोर पर ही
खत्म हो जाती थी
दुनिया मेरी
एक सुबह
आकाश ने रचे
मेरे लिए
तब कहीं जाके
मेरे पंखों ने लांघी
क्षमता की दहलीज
और समूचा
आकाश सिमट आया
मेरी उड़ान में
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : ०३-सितम्बर-२०१३ / १०:४० रात्रि / घर