एक बोझिल सुबह
जिसमें समेटना है दिन का विस्तार
इसके पहले कि मायूसियाँ
शाम के साथ
लिपटने लगे पहलु के साथ
दौड़ना है दिनभर
काँधे पर टाँगें
उम्मीदों की सलीब ...
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनांक 28-अगस्त-2016/सुबह : 09:15/घर
उम्मीदों की सलीब
रविवार, 28 अगस्त 2016
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