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कविता : पड़ाव

शनिवार, 1 जुलाई 2017



करीब साढे नौ सालों के बाद अचानक फ़िर अपने ब्लॉग कि याद आई है.....




उम्र ने बढते हुये
द्दर्ज कर दी थी पेशानियों पे
अपनी मौजुदगी
और सफ़ेदी बढते हुये
कह ही दिया था
कि बहुत हो चुका सब


मन था कि
मानता ही नही
कभी यहाँ कभी वहाँ
अखबारों से शुरु हुआ सिलसिला
थमा तो व्हात्सएप पर
इस बीच पत्रिकायें थै तो
कभी फ़ेसबुक


लेकिन
छाँवभरी गोद लेकर
आज फ़िर याद आया है
ब्लॉग
किसी पड़ाव की तरह
एक थका देने वाली
जीवनयात्रा में
एक सुकून भरा ठहराव लिये....
------------------------
मुकेश कुमार तिवारी
दिनांक : 01-जुलाइ-2017 / समय : 04:40 दोपहर / घर
#हिन्दी_ब्लॉगिंग






7 टिप्पणियाँ

vandana gupta ने कहा…

सही कहा आपने .........यात्रा कहीं से शुरू हो वापसी घर पर ही होती है :)

1 जुलाई 2017 को 4:56 pm बजे

बहुत ही सुंदर रचना, अब आगे भी पढन्र का मौका देते रहियेगा.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग दिवस पर आपके द्वारा किये सहयोग के लिये सादर आभार.
रामराम

1 जुलाई 2017 को 8:10 pm बजे

अन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें .... #हिन्दी_ब्लॉगिंग

1 जुलाई 2017 को 9:29 pm बजे

राम राम ताऊ,

अंतर्राष्ट्रीय #हिन्दी_ब्लॉगिंग दिवस पर आपका यह पुनीत संकल्प की सभी सुप्तप्राय ब्लॉगर्स सक्रिय हों और ब्लॉग पुरोधाओं को सुझाव कि कम से कम 100 ब्लॉगों पर टीप दें... एक शुभ शुरुआत है....

घणी राम राम ताऊ...

2 जुलाई 2017 को 6:16 am बजे
Khushdeep Sehgal ने कहा…

जय हिंद...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग...

2 जुलाई 2017 को 3:44 pm बजे
Umesh ने कहा…

अपनी जड़े खींचती है

28 मार्च 2020 को 1:28 pm बजे