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आदमी का बंटना जारी है

सोमवार, 5 जनवरी 2009

बच्चा,
जब पैदा होता है,
तभी से बंटने लगता है खेमों में
कभी तो अजीब से लगता है कि
अभी पैदा हुआ बच्चा,
कैसा बांटा जा सकता है?

वो,
बांट लेते है
पैदा होने के तरीके से
नार्मल / सिजेरियन / सीधा या उल्टा
फिर, बच्चा बंटने लगता है
गोरे / काले / सांवले / कमजोर / स्वस्थ्य में
और बंटना जारी रहता है

फिर,
उसे बांटा जाता है
पैदा होने के नक्षत्र / वार / तिथी के हिसाब से
सर्दीहा या गरम कोठा है
उसके बंटने को नया आयाम देते है

अब,
उसे बांटा जाता है
पढाई में तेज या कमजोर के भाग में
खेलने वाला या किताबी कीड़े
के रुप में

बड़ा,
होते होते इतने खेमों में बंटने के बाद भी
वह बांटा जाने लगता है
जाति / धर्म / पंथ / संप्रदाय के नाम पर
उसके विचारों से
सुधारवादी है / रुढीवादी है
उसके पेशे पर तो
बंटवारा होना अभी शेष है

वह,
आदमी जो पूरी जिन्दगी खेमों में बंटा रहा
फिर बांटा जाता है
शारीरिक विषमताओं से
मोटा / पतला / झुकी कमर / लंगड़ा /
काना / या ऊंचा सुननेवाला

जिन्दगी भर,
टुकड़ों में बटां आदमी
जब कहीं निकाल पाता है मौका
झिड़ककर सारी पहचानों को
अपनी कोई अलग पहचान बनाने का

तब,
काँग्रेसी / भाजपाई / संघी / सर्वोदयी /
कॉमरेड़ / समाजवादी
से टैग ढूंढ्ते हैं कोई खाली कोना
चस्पा होने के लिये उसके माथे पर
और / फिर
वह बंटने लगता है
इंदिरा - राष्ट्रवादी / अटल गुट - आड़वाणी गुट /
भाकपा - माकपा / लोहिया - गैर लोहियावादी में
बंटना अब भी जारी है
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनांक : १८-दिसम्बर-२००८ / समय : ०६:५० सुबह / घर

5 टिप्पणियाँ

बहुत सुंदर ; आपका चिंतन बहुत गहरा और लाज़बाब है

6 जनवरी 2009 को 10:02 am बजे
Prem Farukhabadi ने कहा…

Tiwari ji
जहाँ ज़रुरते ज़ेब से बड़ी और समझदारी उम्र से बड़ी होती है.aapke profile mein padke jindgi ki hakikat aankhe kholne wala vichaar. pataa chalta hai aap hakikat ke kafi karib . achchha laga.

6 जनवरी 2009 को 8:32 pm बजे
Prem Farukhabadi ने कहा…

Tiwari ji
जहाँ ज़रुरते ज़ेब से बड़ी और समझदारी उम्र से बड़ी होती है.aapke profile mein padke jindgi ki hakikat aankhe kholne wala vichaar. pataa chalta hai aap hakikat ke kafi karib . achchha laga.

6 जनवरी 2009 को 8:32 pm बजे
rakeshindore.blogspot.com ने कहा…

Bhai Tiwari ji
Iwish you a verry happy new year . it is realy admirable that you are giving time for your writing work . congratulation for new poems .

7 जनवरी 2009 को 8:52 am बजे
Vijay Kumar ने कहा…

bahut achchhe bhav hain.
mujhe spandit kiya.
is Indoriye ki or se aapke liye ....

"dekhiye kis-kis tarah bantata hai aadmi.
is tarah girata hai ya chadrta hai aadmi"

9 जनवरी 2009 को 12:18 pm बजे