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कविता : कल्पवृक्ष

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

एक लम्बे अंतराल के बाद कोई पोस्ट कर पा रहा हूँ,  इसबीच अपनी नौकरी की व्यस्तताएँ, कमिटमेंट्स फिर बेटे का बीमार हो जाना और फिर एम.ई.(प्रोडक्शन इंजि एवं डिजाइन) कि परिक्षाएँ न जाने उलझने हैं कि खत्म ही नही होती। अब बाहा-२०१३ (www.bajasaeindia.org) की तैयारियों में उलझा हुआ हूँ, बहरहाल हाल में लिखा हुआ आप सबसे बाँट लेना चाहता हूँ :-


नानी की कहानियों में
अक्सर सुना था
कल्पवृक्ष
और वो
मेरे
सपनों में सवार था तभी से
किसी दिन
मैं पा जाऊंगा उसे
अपनी सारी इच्छाएँ
पूरी कर लूंगा
ऐसे न जाने कितने सपने पाले
बड़ा हो गया
एक दिन
अब न तो कल्पवृक्ष है
न नानी
लेकिन अब भी
सपने हैं
इच्छाएँ हैं
और
विकल्प
की तलाश मौजूद है
शायद इनमें ही कहीं होगा
मेरा कल्पवृक्ष
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 22-जनवरी-2013 / समय : रात्रि 8:00 / राजश्री हास्पिटल