हमारे
बीच उम्मीदों का आस्माँ है
और हमें जोड़ता हुआ
इन्द्रधनुष
जिससे तुम चुनती हो
कोई चटक रंग अपनी पसंद का
और मेरे लिए धूसर
जिन्दगी में अब भी
शेष हैं रंग कई
और अंनत तक फैला हुआ
फासला
मैं बो देना चाहता हूँ
तुम्हारी प्रतीक्षा के बीज
इस छोर पे
और तुम्हें देने के लिए
एक उम्मीद
जो अब भी अशेष रह आई है जिन्दगी में
-------------------------
मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 11-मार्च-2012 / समय : 04:40 दोपहर / घर
बीच उम्मीदों का आस्माँ है
और हमें जोड़ता हुआ
इन्द्रधनुष
जिससे तुम चुनती हो
कोई चटक रंग अपनी पसंद का
और मेरे लिए धूसर
जिन्दगी में अब भी
शेष हैं रंग कई
हमारे
बीच नउम्मिदियों की जमीं है और अंनत तक फैला हुआ
फासला
मैं बो देना चाहता हूँ
तुम्हारी प्रतीक्षा के बीज
इस छोर पे
और तुम्हें देने के लिए
एक उम्मीद
जो अब भी अशेष रह आई है जिन्दगी में
-------------------------
मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 11-मार्च-2012 / समय : 04:40 दोपहर / घर
12 टिप्पणियाँ
एक उम्मीद
19 सितंबर 2012 को 5:47 pm बजेजो अब भी अशेष रह आई है जिन्दगी में ..........उम्मीद भी की कोई उम्र क्यों नहीं होती ..?बहुत सुन्दर लिखा है आपने मुकेश जी .......
बढ़िया प्रस्तुती |
19 सितंबर 2012 को 7:48 pm बजेसही बात है-
आभार ||
वाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
20 सितंबर 2012 को 12:54 pm बजेप्रभावी रचना है ...
20 सितंबर 2012 को 1:32 pm बजेकमाल लिखा है ..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !
20 सितंबर 2012 को 4:44 pm बजेबहुत सुंदर
20 सितंबर 2012 को 7:04 pm बजेजो भी हो बीच में, स्पष्ट हो। अस्पष्टता में दूरियाँ बहुत अधिक लगती हैं।
20 सितंबर 2012 को 7:10 pm बजेवाह यह उम्मीद ही है जो हमें झीने की प्रेरणा देती है । बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
20 सितंबर 2012 को 9:38 pm बजेbahut acchi prastuti .....
20 सितंबर 2012 को 10:23 pm बजेबहुत खूबसूरत......
9 अक्टूबर 2012 को 1:11 pm बजेअनु
उम्मीद ही तो जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है...
9 अक्टूबर 2012 को 8:20 pm बजेअच्छी रचना!!
यह आवश्यक है भाई जी ...
11 अक्टूबर 2012 को 8:38 am बजेएक टिप्पणी भेजें