अब
मुझे कोई रूचि नही होती कि
बेमतलब ही झाँकता रहूँ
आसमान में
और अपने आसपास
मंडराते बादलों से करूं बातें
ज़मीन की ज़मीन पर रहने वालों की
अब ज़मीन पर देखना
फिर खोजते रहना बस्तियों को
या दूर तक पीछा करना
सर्पिली सड़कों का
नही लुभाता है
चिकने पन्नों पर
पसरी जिंदगी की
खुरदरी कहानियाँ पढ़ना
या कुछ ऐसा जिसमें
हकीकत से कोसों दूर की दुनिया ने
रची हो एक दुनिया अपने लिए
सरसराहटें
या नसें खिंच रही चटकते हुए
तब बातें करना
उस अज़नबी से
जिसकी और मेरी दुनिया
बिल्कुल अलग है
और हम वक्त काटने के लिए
सिर्फ कर रहे हैं
बातें करना का उपक्रम
इस ऊँचाई से
भीगना चाहता हूँ
पसीने में
कुछ देर के लिए ही सही
फिर से इन्सान होना चाहता हूँ
------------------------------------
मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 08-मई-2012 / समय : 02:30 दोपहर / इन्दौर-मुम्बई जेट एयरवेज 9W-2022
मुझे कोई रूचि नही होती कि
बेमतलब ही झाँकता रहूँ
आसमान में
और अपने आसपास
मंडराते बादलों से करूं बातें
ज़मीन की ज़मीन पर रहने वालों की
मुझे
इस ऊँचाई
से अब ज़मीन पर देखना
फिर खोजते रहना बस्तियों को
या दूर तक पीछा करना
सर्पिली सड़कों का
नही लुभाता है
अब
नही सुहाता
है चिकने पन्नों पर
पसरी जिंदगी की
खुरदरी कहानियाँ पढ़ना
या कुछ ऐसा जिसमें
हकीकत से कोसों दूर की दुनिया ने
रची हो एक दुनिया अपने लिए
जब
कानों
में गूंज रही हों सरसराहटें
या नसें खिंच रही चटकते हुए
तब बातें करना
उस अज़नबी से
जिसकी और मेरी दुनिया
बिल्कुल अलग है
और हम वक्त काटने के लिए
सिर्फ कर रहे हैं
बातें करना का उपक्रम
मैं
उतर आना
चाहता हूँ इस ऊँचाई से
भीगना चाहता हूँ
पसीने में
कुछ देर के लिए ही सही
फिर से इन्सान होना चाहता हूँ
------------------------------------
मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 08-मई-2012 / समय : 02:30 दोपहर / इन्दौर-मुम्बई जेट एयरवेज 9W-2022
9 टिप्पणियाँ
बहुत खूब ... इंसान होना चाहता हूँ ... ये तो सभी चाहते हैं पर उस ऊंचाई पे जाके सब भूल जाते हैं ... गहरा एहसास लिए ...
11 जून 2012 को 12:53 pm बजेबेहद गहन और सशक्त अभिव्यक्ति
11 जून 2012 को 1:18 pm बजेवाह बहुत खूब ....शब्द शब्द में एक सचाई का आभास
11 जून 2012 को 6:21 pm बजेअपने रंग में जीवन रंग लें हम..
11 जून 2012 को 7:57 pm बजेइंसान होने की जद्दोजहद हो तो ऐसी बाते कहाँ लुभाती हैं
11 जून 2012 को 8:55 pm बजेbahut sunder.....
13 जून 2012 को 2:04 pm बजेकाम शैतानों के करके दिल मेरा अब भर गया !
19 जून 2012 को 10:19 am बजेअब तो यारो कसम से, इंसान होना चाहता हूँ !
चिकने पन्नों पर पसरी जिंदगी की खुरदरी कहानियाँ...भला किसे सुहाता है ..
2 जुलाई 2012 को 10:42 pm बजेऔर दुनिया ने रची दुनिया...बहुत सुन्दर ...
बहुत बढ़िया रचना अभिव्यक्ति....आभार
17 जुलाई 2012 को 11:32 am बजेएक टिप्पणी भेजें