सच!,
मुझे तभी तक अच्छा लगा
जब तक मैं समझता रहा कि
केवल मुझे ही हक़ है
मुँह उठा के बोल देना का
कुछ भी / किसी को भी
बगैर यह देखे कि
मेरा सच उसके दिल को चीर के निकलेगा कहीं
या तोड़ देगा उसके विश्वास को
कि सच होता है, अब भी ?
धीरे-धीरे
मुझे, यह समझ आने लगा कि
सच!
अक्सर तकलीफ पहुँचाता है
अब, हर खुशी में तलाशता हूँ
झूठ पहले
या जब भी किसी ने कहा मेरे सामने
अपना सच!
कई बार
मुझे धोखा हुआ है
आईने के सामने कि
मैं जो देख रहा हूँ वो सच! है?
और हर बार
मुझे यूँ लगा कि
आईना भी सीख गया है
झूठ बोलना
आदमी के इतने करीब रहने का
कुछ तो असर हुआ होगा
------------------------------
मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 25-ऒक्टोबर-2011 / समय : रात्रि 12:05 / घर
जब तक मैं समझता रहा कि
केवल मुझे ही हक़ है
मुँह उठा के बोल देना का
कुछ भी / किसी को भी
बगैर यह देखे कि
मेरा सच उसके दिल को चीर के निकलेगा कहीं
या तोड़ देगा उसके विश्वास को
कि सच होता है, अब भी ?
धीरे-धीरे
मुझे, यह समझ आने लगा कि
सच!
अक्सर तकलीफ पहुँचाता है
अब, हर खुशी में तलाशता हूँ
झूठ पहले
या जब भी किसी ने कहा मेरे सामने
अपना सच!
मुझे धोखा हुआ है
आईने के सामने कि
मैं जो देख रहा हूँ वो सच! है?
और हर बार
मुझे यूँ लगा कि
आईना भी सीख गया है
झूठ बोलना
आदमी के इतने करीब रहने का
कुछ तो असर हुआ होगा
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 25-ऒक्टोबर-2011 / समय : रात्रि 12:05 / घर
13 टिप्पणियाँ
बहुत ही भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति....आभार
17 जुलाई 2012 को 11:31 am बजेबहुत ही भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति....आभार
17 जुलाई 2012 को 11:31 am बजेभावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
17 जुलाई 2012 को 12:30 pm बजेकल 18/07/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' ख्वाब क्यों ???...कविताओं में जवाब तलाशता एक सवाल''
बेहद गहन अभिव्यक्ति
17 जुलाई 2012 को 1:05 pm बजेsochne ko majboor karti kavita.
17 जुलाई 2012 को 3:09 pm बजेआइना सीखा या हम खुद नहीं नान्ना चाहते की आइना सच कहना चाहता है ... आखिर वो सच कडुवा भी तो होता है तीखा भी तो होता है ... गहरी रचना ..
17 जुलाई 2012 को 4:56 pm बजेसचमुच दोनो में से कोई तो झूठा होता है ..
18 जुलाई 2012 को 12:12 am बजेएक नजर समग्र गत्यात्मक ज्योतिष पर भी डालें
कभी लगता है कि स्पष्ट कह देना कम घातक होता है..
18 जुलाई 2012 को 10:20 am बजेझूट-सच का रिश्ता ही अनूठा है
18 जुलाई 2012 को 7:34 pm बजेबहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना ..
बहुत ऊर्जित किया है इस कविता ने!
20 जुलाई 2012 को 4:40 pm बजेआप सभी का धन्यवाद, आपकी प्रतिक्रियाएं मेरा हौंसला बढ़ाती हैं।
9 अगस्त 2012 को 11:03 pm बजेसादर,
मुकेश कुमार तिवारी
वाह । आईना भी.......
20 सितंबर 2012 को 9:43 pm बजेएक टिप्पणी भेजें