आज चार दिन के प्रवास पर निकला हूँ और यह पहला ही दिन है और वो भी अभी पूरा नही हुआ है, कल सुबह से ही ट्रेनिंग क्लास और फिर न जाने क्या-क्या। लेकिन एक बात तो है, मैं तुम्हें मिस कर रहा हूँ...........इस वक्त भी
तुम्हें,
बड़ा अजीब सा लगता है
घर में यूँ ही सिमटे रहना
या समय काटने को
लेकर बैठ जाना
सिलाई / कढाई / चुनाई या बुनाई
अचार के लिये कैरियाँ काटते
या पापड़ के लिये आलू का मांड़ पकाते
तुम्हें लगता है
कोई रच रहा है साजिश
औरतों के खिलाफ
तुम किसी दिन भूल जाओ
अपना नाम भी
और गुमसुम बैठी रहो
ताकते शून्य में
भावशून्य चेहरे पर उभर आयें
आंसुओं की लकीरें
तुम्हें तलाशने हो शब्द
फिर थक-हार चुप बैठ जाना हो
या बड़ी देर बाद कुछ कहना हो धीमे से
और,
किसी प्रतिप्रश्न के जवाब में
सुबकते हुये थमी नज़रों से देखना हो
एक बार देखो मेरी ओर
मुस्कुराओ
और झाडू उठाकर बुहारो
मेरा कमरा
फिर कमर में खोंसकर साड़ी
और चौखट से टिके हुये
कुछ बातें करों मुहब्बत भरी
----------------------------------
मुकेश कुमार तिवारी
दिनांक : १७-मई-२००९ / समय : ११:२० रात्रि / घर
तुम्हें,
बड़ा अजीब सा लगता है
घर में यूँ ही सिमटे रहना
या समय काटने को
लेकर बैठ जाना
सिलाई / कढाई / चुनाई या बुनाई
अचार के लिये कैरियाँ काटते
या पापड़ के लिये आलू का मांड़ पकाते
तुम्हें लगता है
कोई रच रहा है साजिश
औरतों के खिलाफ
मैं,
नही चाहता कि तुम किसी दिन भूल जाओ
अपना नाम भी
और गुमसुम बैठी रहो
ताकते शून्य में
भावशून्य चेहरे पर उभर आयें
आंसुओं की लकीरें
किसी,
प्रश्न के जवाब में तुम्हें तलाशने हो शब्द
फिर थक-हार चुप बैठ जाना हो
या बड़ी देर बाद कुछ कहना हो धीमे से
और,
किसी प्रतिप्रश्न के जवाब में
सुबकते हुये थमी नज़रों से देखना हो
इसलिये,
सिर को झटककर एक बार देखो मेरी ओर
मुस्कुराओ
और झाडू उठाकर बुहारो
मेरा कमरा
फिर कमर में खोंसकर साड़ी
और चौखट से टिके हुये
कुछ बातें करों मुहब्बत भरी
----------------------------------
दिनांक : १७-मई-२००९ / समय : ११:२० रात्रि / घर
9 टिप्पणियाँ
बहुत खूब ||
26 सितंबर 2011 को 8:49 pm बजेBadhita,chitrmay shailee aur utnee hee sundar rachana!
26 सितंबर 2011 को 9:07 pm बजेसुंदर अभिव्यक्ति।
26 सितंबर 2011 को 9:58 pm बजेखूबसूरती से उकेर दिए मन के भाव
26 सितंबर 2011 को 11:22 pm बजेबेहतरीन पंक्तियाँ, छोटी छोटी बातों में छिपी है अपार खुशी।
27 सितंबर 2011 को 11:12 am बजेवाह ...बहुत खूब कहा है ।
27 सितंबर 2011 को 11:46 am बजेIS BEJOD RACHNA KE LIYE BADHAI SWIIKAREN MUKESH JI.
27 सितंबर 2011 को 6:14 pm बजेमुकेश जी प्रणाम !
27 सितंबर 2011 को 6:47 pm बजेआपकी कविता की परिपक्वता लाजवाब है, ये सिर्फ भावपूर्ण रचना नहीं एक सन्देश भी है...बधाई
If ur lyf paartner knows u so well then no lady wud ever feel useless.. loved da soul of dis poem.. :)
29 सितंबर 2011 को 9:03 pm बजेएक टिप्पणी भेजें