जब भी दर्द बटाँ दुनिया में
मेरे हिस्से ज्यादा आया
सबने सबकी सुध ले ली
अपने काम इरादा आया
सबको मिला वही जो चाहा
मेरे हक़ में वादा आया
कर्ज रात का आँखों में ले
सूरज संग तकादा आया
दुनियादारी लगी तमाशा
तब जाना क्यूं नादाँ आया
चेहरे पुते बहुत थे लेकिन
काम यही इक सादा आया
शाह वज़ीर मस्ती में डूबे
अपनी बारी प्यादा आया
-------------------------------------------
मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 01-जून-2011 / समय : 11:40 रात्रि / घर
मेरे हिस्से ज्यादा आया
सबने सबकी सुध ले ली
अपने काम इरादा आया
सबको मिला वही जो चाहा
मेरे हक़ में वादा आया
कर्ज रात का आँखों में ले
सूरज संग तकादा आया
दुनियादारी लगी तमाशा
तब जाना क्यूं नादाँ आया
चेहरे पुते बहुत थे लेकिन
काम यही इक सादा आया
शाह वज़ीर मस्ती में डूबे
अपनी बारी प्यादा आया
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 01-जून-2011 / समय : 11:40 रात्रि / घर
12 टिप्पणियाँ
वाह.... बहुत खूबसूरत नज़्म... बहुत ही बेहतरीन!
8 जून 2011 को 1:49 pm बजेप्रेम रस
बहुत अच्छी नज़्म। लाजवाब!
8 जून 2011 को 5:03 pm बजेजो भी कहना चाहा हमने,
8 जून 2011 को 7:03 pm बजेगजल ने साथ निभाया।
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
9 जून 2011 को 11:45 am बजेक्या बात है? मुकेश भाई - वाह - जितनी बार पढो - उतना ही मज़ा.
10 जून 2011 को 8:04 am बजेसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
1आपके हिस्से में नहीं मेरे हिस्से में 2-कोई किसी की सुधि नहीं लेता 3-कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता 4-बहुत गहरी बात 5-तमाशा है ही 6-पुते हुये भी बदले हुये भी
10 जून 2011 को 12:15 pm बजे7-........--------
जिनकी मेहनत से तुम्हे ताज मिला तख्त मिला
उनके सपनों के जनाजे में तो शामिल होते
तुमको शतरंज की चालों से नहीं वक्त मिला
सबको मिला वही जो चाहा
19 जून 2011 को 1:49 pm बजेमेरे हक़ में वादा आया
बहुत खूबसूरत नज़्म ... यदि इसमें नंबर न लिखे होते तो ज्यादा खूबसूरत लगती
संगीता जी,
19 जून 2011 को 6:49 pm बजेआपकी सलाह पर अमल किय है और अश’आरों के सामने से दिये हुए नम्बर हटा दिये हैं।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
अच्छी नज़्म, अच्छे भाव। शायद हम केवल अपना दर्द ही देख पाते हैं तभी तो अपना दुख बडा लगता है\ अच्छे भाव हैं । शुभकामनायें\
20 जून 2011 को 8:26 am बजेकर्ज रात का आँखों में ले
20 जून 2011 को 12:27 pm बजेसूरज संग तकादा आया
बहुत खूबसूरत गज़ल
सबको मिला वही जो चाहा
21 जून 2011 को 8:22 am बजेमेरे हक़ में वादा आया
bahut khub
कर्ज रात का आँखों में ले
सूरज संग तकादा आया
gahri baat kamal .
bahut sunder abhivyakti
saader
rachana
आप सभी सुधि पाठकों का आभार!!
21 जून 2011 को 7:21 pm बजेसादर,
मुकेश कुमार तिवारी
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