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कविता : अण्णा रुके नही......

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

आज सुबह फेसबुक पर श्री समीरलाल जी की पोस्ट पढ़ी और फिर दिन भर श्री अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ़ चलाये जा रहे अभियान और की जा रही भूख हड़ताल ने विवश कर दिया यह सोचने को क्या भ्रष्टाचार का मुद्दा श्री अण्णा हजारे का कोई निजि मसला है क्या है (हम अक्सर ऐसा ही सोचते है)?

गाँधीजी के देश में ही अब लोग मानने लगे हैं कि हम क्यों औरों के फटे में पैर डाले? सबसे ज्यादा इस बात का दुःख है कि गाँधीजी के सिद्धाँतों में अब कोई विश्वास नही करता भूख हड़ताल(सच्ची तो अब कल्पनाओं में ही होगी कहीं), सत्याग्रह जैसे शब्द किसी अन्य भाषा के लगते हैं जिनका अर्थ कोई समझ ही नही पाता है......

श्री अण्णा हजारे के अभियान का हिस्सा बन सकूं/भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अपनी एक मोमबत्ती जला सकूं इसी भावना के साथ

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी
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मैनें,
यह मान लिया था
अब कोई बदलाव संभव नही है
व्यवस्था ने अपनेआप को ढाल लिया है
वो जो भी हो रहा है
आस-पास
और हम अभ्यस्त हो गये हैं
अपनी भूमिका से

किसी,
परिवर्तन का हिस्सा बनने का
माद्दा बचा ही नही है
सब मोम के बने
या तो पिघल जाते हैं
या ढाल लिये जाते है
जरूरतों ने कतरकर दुनिया समेट दी है
चार बाय पाँच इंच के जेब में
और साढ़े पाँच फुट का बेजुबान आदमी
नाचने लगा है उंगलियों पर

एक,
हाँका लगाने के बाद
अण्णा रुके नही
किसीका इंतजार करते
हमकदम होने का
बस चले पड़े अपनी राह बनाते हुए
किसी अचरज सा लगता है
एक आदमी.....आम आदमी
अपनी भूख से
उड़ा सकता है नींद
पेट भर खाये लोगों की
जिन्होंने अभी डकार भी नही ली है
खाने के बाद
और उनकी निगाहों में
देश में अभी काफी कुछ बाकी है
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : 07-अप्रैल-2011 / समय : 08:20 रात्रि / अहमद नगर प्रवास पर

13 टिप्पणियाँ

बहुत सशक्त रचना ...अन्ना के साथ आम जनता है ..

7 अप्रैल 2011 को 11:50 pm बजे

न देश चुका है, न देश वासी।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां।

8 अप्रैल 2011 को 6:19 am बजे
vandana gupta ने कहा…

बेहद सशक्त रचना…………सही आह्वान्।

8 अप्रैल 2011 को 12:32 pm बजे
Amrita Tanmay ने कहा…

Anna ke sath ham bhi jitenge..sashakt rachana jhajhkorti hui..bahut achchhi..aabhar

8 अप्रैल 2011 को 2:35 pm बजे
Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (09.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

8 अप्रैल 2011 को 4:11 pm बजे
monali ने कहा…

Bas Anna jaise maargdarshak ki zarurat thi aur is desh k naunihaal jaag gaye... aur jo ab bhi IPL dekh rahe hain shayad unhe apni priorities decide karne ki zarurat h :)

8 अप्रैल 2011 को 6:51 pm बजे
Anupama Tripathi ने कहा…

सार्थक सशक्त रचना ....
लगता है कभी कभी कि शायद हमारी आस्थाएं कमज़ोर पड़ने लगीं हैं ....
पर हमारे बड़े बूढों में अभी भी विश्वास है अपनी आस्था -अपनी कर्मठता पर .......!!

9 अप्रैल 2011 को 4:30 pm बजे
Kailash Sharma ने कहा…

बेहद सशक्त रचना..बहुत प्रभावपूर्ण प्रस्तुति...आज आम आदमी जाग चुका है और उसके सामने शासन भी झुक गया. यह ज़ज्बा बनाए रखना है...

9 अप्रैल 2011 को 8:11 pm बजे
Smart Indian ने कहा…

एक आम नागरिक की सोच को उजागर करती सार्थक कविता!

13 अप्रैल 2011 को 5:23 am बजे
Gyan Dutt Pandey ने कहा…

कुछ आस बन्धी है मित्र!। देखें आगे क्या होता है!

14 अप्रैल 2011 को 5:20 pm बजे

सभी सुधिजनों को प्रतिक्रियाओं के लिये आभार!!

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

20 अप्रैल 2011 को 6:43 pm बजे
Rachana ने कहा…

bahut prabhavshali rachna
sahi likha hai
saader
rachana

24 अप्रैल 2011 को 10:33 pm बजे