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अपने नाम की खोज

गुरुवार, 20 नवंबर 2008

किसी नाम को,
रखे जाने का मतलब
कि किसी पहचान को बांध लेना जिन्दगी से
और ढोते रहना मज़बूरी की तरह
यह क्या कि जो जड़ दिया गया हो बिना पूछे
बस चिपका रहे सारी जिन्दगी

अपने,
नाम को लेकर मैं खासा परेशान रहा
मुझे अक्सर लुभाते रहे दूसरों के
जैसे चिढ सी हो गई हो अपने नाम से
बिना किसी मतलब का
कोशिश,
बहुत कि हो कोई अच्छा सा नाम /
कोई सुन्दर पुकारने वाला /
जो मेल खाता हो चरित्र से /
कोई ऐसा नाम जो आजकल के ट्रेण्ड़ में हो
मॉडर्न / ट्रैण्डी / फ़ंकी सा

अपने,
नाम के कई हिस्से किये
नये विन्यास बनाये
फ़िर खोजा अपने आप को
फ़िर हिज्जों में तोड़ा
नये शब्द बनाये
और उनके मतलब में खोजा अपने आप को
उच्चारण बदले /
अंक शास्त्र में तलाशा /
कई जुबानों में पुकारा /
नये अंदाज में भी
अपने नाम से मैं कुछ विशेष नही कर पाया
रहा वही बिना मतलब का
ना मुझे डिफ़ाईन करता है ना मेरे होने को

अगली,
फ़ुरसत में खोजियागा कोई नाम मेरे लिये
और दे दीजियेगा मुझे कोई पहचान
अपने मतलब की
मैं,
पूरी जिन्दगी में अपनी पसंद का नाम नही रख पाउंगा
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनांक : १८-नवम्बर-२००८ / रात्रि : ११:२५ / घर

1 comment

ख़ुद को ढूँढ़ते रहे कभी अपने नाम में |
ज़िंदगी गुजार दी हमने इस काम में ||
किंतु निज आत्मा को आज तक देखा नहीं ||
भव भव मिले इस नाम को ही आत्मा माना सही |
यही भ्रम है जो है मिथ्या दुःख उठाते ही रहे
जो स्वयं को पा लिया तो सुख की सरिता फ़िर बहे

अच्छी कविता का रसास्वादन कराया तिवारी जी आपने

22 नवंबर 2008 को 9:29 am बजे