बाप,
के साथ रहते मैं सदा बेटा ही बना रहा
क्ब बड़ा हुआ?
कब सीखा दुनिया देखना अपने चष्मे से?
कब इतना बड़ा हो गया कि
बाप के कपड़े,
जिनमें पूरी ज़वानी गुजर गई
अब छोटे पड़ने लगे?
कब नौकरी लगी?
कब शादी हुई?
कब मेरा परिवार बना?
कब कोई नन्ही ज़ान हमारे बीच आ गई
कब मैं बाप बना?
पता ही नही चला
बाप,
के साथ रह्ते
ना कभी बड़ा हो पाया
ना बड़ा माना गया
सदा बेटा ही बना रहा
बाप बना
पर बाप नही हो पाया /
पहचाना नही गया
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनांक : ०३-ऑक्टोबर-२००८ / रात्रि : ११:१५ / घर
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