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दम तौड़ते हुये विचार

गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

दिनभर,
जो देखा / जो खला / जो चुभा
बदलता रहा विचारों में मेरे अंतर
और मैं,
उन्हें चबाता रहा महीन और महीन
यहाँ तक कि जबड़े देने लगे जवाब
तब भी विचार थे कि
पिसने का नाम ही नही लेते थे

दोपहर तक,
मैने महसूस किया कि
मैं बदल आया हूँ चक्की पाटों में
और विचार दांतों में फंस आये हों
सौंफ की तरह किसी ढीली बत्‍तीसी में
और बैचेन करते रहे मुझे जीभ की तरह
जो हर पल इसी ताक में बार-बार टटोलती है कि
किसी भी पल आजाद हो सकती चुभन

शाम होते होते,
मेरा धैर्य गुम होने लगा
तब भी विचार वैसे के वैसे ही थे
रात में ना जाने कैसे मुँह से निकलकर
भिनभिनाने लगे मच्छरों की तरह / काटने लगे
फिर मेरे सपनों में आने लगे रह-रह कर

सुबह,
देर रात के हैंगओवर की तरह
मेरे सिरदर्द में मौजूद थे विचार
मेरी उबासियों में / अंगड़ाईयों में
फिर तौलिये से लिपट चिपकते गये
सारे शरीर से
और जैसे मैं
बदल आया हूँ एक कब्रगाह में
जो विचार नही बदल पाया किसी कविता में
और किस के नाम नही हो पाया
बस दम तौड़ता है मेरी कैद में
पिसते हुये / सिसकते हुये / शरीर से चिपके हुये
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनांक : २४-दिसम्बर-२००८ / समय : ११:०५ रात्रि / घर

6 टिप्पणियाँ

hem pandey ने कहा…

विचार
पिसते हुये / सिसकते हुये / शरीर से चिपके हुये
रहेगा जहन में
और फूटेगा किसी दिन नए विचारों के साथ
कविता के रूप में.

25 दिसंबर 2008 को 2:55 pm बजे
Smart Indian ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है. 25 दिसंबर 2008 को 10:27 pm बजे
Smart Indian ने कहा…

इस ब्लॉग पर कवितायें पढ़ना एक अलग सा ही अनुभव है. Keep it up!

25 दिसंबर 2008 को 10:30 pm बजे
हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मुकेश जी, आपकी कविता पढी काफी अलग हटके है अच्‍छी लगी...!

26 दिसंबर 2008 को 9:59 pm बजे
vijay kumar sappatti ने कहा…

sir , aapki ye kavita ,bahut se vicharo ko sammlit kiye hue hai , aur kaise ek kavita janam leti hai ,uski peeda ko darshaya gaya hai ..

bahut badhai ...

sir meri kuch aur kavitao ko aapka pyar chahitye..

aapka vijay
poemsofvijay.blogspot.com

27 दिसंबर 2008 को 4:43 pm बजे
daanish ने कहा…

"..jo dekha, jo khlaa, jo chubhaa
badaltaa rahaa vichaaroN meiN.."
dbe, kasmsaate, karvateiN lete vichaaroN ki bahot sleeqe se tarjumaani ki hai aapne...dhairyaa
gum hone ke baavjood bhi, aur
hang-over sehne tk aapka lehjaa steek aur umdaa hi rahaa.
mubaarakbaad...!
---MUFLIS---

27 दिसंबर 2008 को 8:31 pm बजे