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रात और मेरे बीच

रविवार, 9 मई 2010

रात,
से एक अजीब सा रिश्ता है मेरा
वह रखती है सहेजकर
गलियों में बिखरे शब्दों को मेरे लिये
जो लोग अपनी कहानी
पूरा करने के पहले छोड़ गये थे
और
उंड़ेल देती है मेरे सामने उस प्रहर
जब कोई नही होता हमारे बीच / साथ


मैं,
उन्ही शब्दों से लिखता हूँ
जब गीत कोई
तो महसूस करता हूँ
उन शब्दों को गंधाते
उसी बू से जो आती है जांघों के आस-पास
अंतर्वस्त्रों से लिपटी हुई


मैं,
उन्ही शब्दों से लिखता हूँ
जब कविता कोई
तो महसूस करता हूँ
उन शब्दों में खारापन
वही खारापन जो हम गालों पर महसूस करते हैं
आँसुओं के सूख जाने के बाद


उन्हीं,
शब्दों के ढेर में होते हैं
कई विषय मेरे लिये
जिनसे लिखी जा सकती हैं
हजारों लघुकथायें या कई बड़ी कहानियाँ
यह तीखे से शब्द
महकते हैं सस्ते परफ़्यूम की तरह
जो बाजार में औरतें लगाती हैं


कोई,
उपन्यास या खण्डकाव्य लिखना
तो मेरे धैर्य की सीमा से बाहर है
हाँ, यदि आप चाहें तो
मैनें बचाकर रक्खें है
ना जाने ऐसे कितने विषय
किसी रूमाल की तरह अपने पास
जो कॉलगर्ल्स अक्सर छोड़ जाती हैं हड़बड़ी में
या लिपस्टिक के उन निशानों की तरह
जो तकिये पर से
हमारा मुँह बा रहे होते हैं
पसीने से तर-ब-तर
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मुकेश कुमार तिवारी
दिनाँक : ०७-मार्च-२०१० / समय : ०३:२५ दोपहर / ऑफिस

9 टिप्पणियाँ

वाह... वही सारे विषय ही तो आपकी पूँजी है.. हमेशा की तरह मन को कही अन्दर से छूने वाला लेखन.. सारे पैरा मुझे बहुत अच्छे लगे..

आभार आपका!!

9 मई 2010 को 1:31 pm बजे

ek-ek bbaat sach hai

bahut achha likha
badhai

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

9 मई 2010 को 1:40 pm बजे
kshama ने कहा…
Urmi ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी!

9 मई 2010 को 4:04 pm बजे

साहित्य को सरलता से परिभाषित कर दिया ।

9 मई 2010 को 5:04 pm बजे
M VERMA ने कहा…

तो महसूस करता हूँ
उन शब्दों में खारापन
वही खारापन जो हम गालों पर महसूस करते हैं
आँसुओं के सूख जाने के बाद
यही वह खारापन है जिसको बयान करने की शायद शब्दों की आवश्यकता ही नहीं है.
और फिर
अधूरे छूटे शब्दों में तो वर्ण्य विषय की अपार सम्भावनाएँ हैं ... अधूरे हैं जो हैं ये!!
बहुत सुन्दर

9 मई 2010 को 5:33 pm बजे
ओम आर्य ने कहा…

विश्वास है कि उन सारे शब्दों के रूहों को आपकी लेखनी बदन दे पाएगी, जैसे कि दे रही है...

9 मई 2010 को 8:45 pm बजे
rakeshindore.blogspot.com ने कहा…

you are coposing verry good poem. I think you are a complete poet .you will do better in this field. congratulation.

9 मई 2010 को 10:43 pm बजे
hem pandey ने कहा…

और वे शब्द भावों का लबादा ओढ़ के बन जाते हैं- एक सुन्दर रचना.

10 मई 2010 को 8:43 pm बजे