शतक / सैकड़ा / शतांक केवल लुभाता भर नही है बल्कि एकाग्रता बढ़ाता है, जिम्मेदारियों को महसूसना सिखाता है, निरन्तरता बनाये रखने की प्रेरणा देता है। अपनी सौंवी पोस्ट पर मैं सभी ब्लॉग साथियों का शुक्रगुजार हूँ कि आपकी सुलभ प्रेरणा, प्रतिक्रियायें मेरा मार्गदर्शन करती रहीं अन्यथा मैं तो अपनी आदत के मुताबिक कुछ भी स्थायी नही रख पाता हूँ मात्र एक उलझा-उलझा जिन्दगी की मुश्किलों की सुलझाने की कोशिश में खुद को ही भूल बैठता हूँ कभी।
आज मैं अपनी एक पुरानी कविता "मैं, तुम, बेटा और दीवारें" प्रस्तुत कर रहा हूँ इस कविता ने मेरे बहुत से साथियों को श्रोताओं को गोष्ठियों में करीब से छुआ है।
सादर,
आपका स्नेहाकांक्षी
मुकेश कुमार तिवारी
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मैं, तुम, बेटा और दीवारें
अक्सर,
रातों को
मैं, तुम, बेटा और दीवारें
बस इतना ही बड़ा संसार होता है
बेटे की अपनी दुनिया है / उसके अपने सपने
दीवारें कभी बोलती नही
और हमारे बीच अबोला
बस इतना ही बड़ा संसार होता है
तुम्हारे पास है
अपने ना होने का अहसास /
बेरंग हुये सपने /
और दिनभर की खीज
मेरे पास है
दिनभर की थकान /
पसीने की बू
और वक्त से पीछे चल रहे माँ-बाप
ना,
तुमने मुझे समझने की कोशिश की
ना मैं समझ पाया तुम्हें कभी
तुम्हारे पास हैं थके-थके से प्रश्न
मेरे पास हारे हुये जवाब
अब हर शाम गुजर जाती है
तुम्हारे चेहरे पर टंगी चुप्पी पढ़ने में
रात फिर बँट जाती है
मेरे, तुम्हारे, बेटे और दीवारों के बीच
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मुकेश कुमार तिवारी
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32 टिप्पणियाँ
शतक की बधाई-आगे भी कई शतकों की शुभकामनाएं
30 नवंबर 2009 को 12:00 pm बजेबहुत-बहुत बधाई आपको सौंवी पोस्ट के लिए ।
30 नवंबर 2009 को 12:02 pm बजेसौंवी पोस्ट की बधाई .... एक उत्तम रचना है यह आपकी ....... झूझते हुवे इंसान की आत्म कथा ......
30 नवंबर 2009 को 12:52 pm बजेबहुत बहुत बधाई आप यूँ ही लिखते रहे यही दुआ है ...बेहतरीन रचना लिखी है आपने ..शुक्रिया
30 नवंबर 2009 को 12:58 pm बजेसुन्दर अहसास और शतक की बधाई
30 नवंबर 2009 को 1:14 pm बजेशतक लगाने की बधाई,एक बेह्तरीन रचना के लिये भी बधाई
30 नवंबर 2009 को 2:02 pm बजेबहुत अच्छा शतकीय संस्करण। प्रेरक। बधाई स्वीकारें।
30 नवंबर 2009 को 2:21 pm बजेशतक की बधाई. आपकी रचनाएं कुछ विशेष होती हैं. ईश्वर करे अगला सैकडा जल्द से जल्द लगे. बहुत शुभकामनाएं.
30 नवंबर 2009 को 2:54 pm बजेरामराम.
पहले शतक की बधाई...और रचना में तो आपने कमाल कर दिया है...बहुत खूबसूरत शब्दों से भाव ढाले हैं उसमें...जितनी तारीफ़ करूँ कम है...
30 नवंबर 2009 को 3:47 pm बजेनीरज
बहुत शानदार तरीके से आपने शतक पूरा किया है. बहुत बहुत बधाई.
30 नवंबर 2009 को 4:29 pm बजेरात फिर बँट जाती है
मेरे, तुम्हारे, बेटे और दीवारों के बीच
बहुत सुन्दर
Kabhi hamaree aulad bhi hame 'waqt se pichhada " payegi...peedhi dar peedee aisahi hota raha hai...!
30 नवंबर 2009 को 5:40 pm बजे100 vee post ki hardik badhayee!
एक बहुत सशक्त रचना के साथ आपने शतक लगाया है.
30 नवंबर 2009 को 5:53 pm बजेशतकीय पोस्ट की बहुत बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
Perfect Poem! Perfect topic, perfect flow, wonderful words and an awesome composition!
30 नवंबर 2009 को 8:22 pm बजेTones of wishes on this beautiful, 100th post! God bless your pen!
RC
हमारी भी शाम दर शाम यूं ही गुजर जाती हैं। अन्तर भर यह है कि हम इतनी बढ़िया कविता में नहीं ढाल पाते उसे!
30 नवंबर 2009 को 9:28 pm बजेबहुत बधाई जी।
सैकडे क्लब में शामिल होने की बधाई, कविता भी अच्छी लगी, आज की स्थिति को बयान करती है जब घर का लड़का इसी हालत में बापस आता है.
30 नवंबर 2009 को 9:50 pm बजेवाह जी वाह! बधाई हो पोस्ट-शतक लगाने के लिये।
30 नवंबर 2009 को 10:45 pm बजेबहुत ही खूबसूरत लाईनें हैं..
30 नवंबर 2009 को 10:50 pm बजेशतक पर हमारी बधाई स्वीकारें...
आपकी कविता पढकर यह आशा जाग रही है कि अब ब्लॉग पर अच्छी कविताओं का समय आ रहा है
30 नवंबर 2009 को 11:55 pm बजेबहुत बहुत शुभकामनायें ।
1 दिसंबर 2009 को 2:30 am बजेek jandar aur shandar rachna ke sath shatak par badhai
1 दिसंबर 2009 को 10:16 am बजे100वींपोस्ट के लिये बहुत बहुत बधाई और सुन्दर रवना के लिये भी धन्यवाद्
1 दिसंबर 2009 को 11:32 am बजे100 VI POST KE LIYE HARDIK BADHAYI.
1 दिसंबर 2009 को 11:45 am बजेKAVITA KYA LIKHI HAI EK SATYA UJAGAR KAR DIYA HAI..........ZINDAGI KE KUCH LAMHAT AISE BHI GUJARTE HAIN.........INSAAN KI KHUD SE LADNE KI KAVAYAD KO BAKHUBI UJAGAR KIYA HAI.
बहुत-बहुत बधाई आपको सौंवी पोस्ट के लिए ।
1 दिसंबर 2009 को 12:02 pm बजेमैं, तुम, बेटा और दीवारें
1 दिसंबर 2009 को 7:06 pm बजेआज की हकीकत कह दी है आपने कविता के बहाने, आपकी पहली कविता पढ़ी है सौवीं का मजा आ गया।
सौवी पोस्ट के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें! बहुत अच्छी लगी आपकी ये शानदार रचना!
2 दिसंबर 2009 को 7:47 pm बजेhamne socha jab ham 100vi post dalenge tabhi aapki 100vi rachna ka lutf lenge to janaab hamne bhi 110vi post daali aour aa dhamke aapke blog par.
3 दिसंबर 2009 को 3:56 pm बजेmaza aa gayaa kya sashakt rachna he../ abhi aour aour padhhunga...
पहली बार यहा आया हू और फ़ीड अपने आप रीडर मे ऎड हो गयी.... आप बहुत अच्छा लिखते है...
4 दिसंबर 2009 को 12:16 pm बजे"तुमने मुझे समझने की कोशिश की
ना मैं समझ पाया तुम्हें कभी
तुम्हारे पास हैं थके-थके से प्रश्न
मेरे पास हारे हुये जवाब
अब हर शाम गुजर जाती है
तुम्हारे चेहरे पर टंगी चुप्पी पढ़ने में
रात फिर बँट जाती है
मेरे, तुम्हारे, बेटे और दीवारों के बीच"
मेरी तरफ़ से आपको ढेर सारी शुभकामनाये..
आप सभी की प्रेरणा और प्रोत्साहन से ही मैं निरन्तरता कायम रख पाया हूँ।
7 दिसंबर 2009 को 9:59 am बजेआप सभी का कृतज्ञ और ऋणी,
मुकेश कुमार तिवारी
भाई,
7 दिसंबर 2009 को 10:01 am बजेसौंवी पोस्ट की बधाई तो है ही, रचना भी बहुत अच्छी है।
जितेन्द्र चौहान
आपकी कविताएँ इतनी उदासी लिये क्यूँ होती हैं... ... उदास कर देती हैं...congrats for century...
26 दिसंबर 2009 को 12:25 am बजेसौंवी पोस्ट की बधाई .... एक उत्तम रचना है यह
16 अप्रैल 2010 को 6:31 am बजेबहुत बहुत बधाई आप यूँ ही लिखते रहे यही दुआ है ...बेहतरीन रचना लिखी है आपने ..शुक्रिया
16 अप्रैल 2010 को 6:32 am बजेएक टिप्पणी भेजें