tag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post8770235110067316256..comments2023-07-31T13:57:43.732+05:30Comments on कवितायन: च्यूईंगगम में बदले हुये दिनमुकेश कुमार तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-85339257619706461552008-11-14T09:15:00.000+05:302008-11-14T09:15:00.000+05:30बहुत सुंदर गहरे भाव बहुत लंबे अरसे तक ब्लॉग जगत से...बहुत सुंदर गहरे भाव <BR/>बहुत लंबे अरसे तक ब्लॉग जगत से गायब रहने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ अब पुन: अपनी कलम के साथ हाज़िर हूँ |प्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-19668424497429148282008-11-11T17:44:00.000+05:302008-11-11T17:44:00.000+05:30मुकेश जी , आप इतनी गहराई से लिखते हैं । मुझे अच्छी...मुकेश जी ,<BR/> आप इतनी गहराई से लिखते हैं । मुझे अच्छी लगीं आपकी रचनाएं । मुझे कविता कहना दुनिउआ का सबसे दुरुह काम जान पडता है । आप्की सोच की गहराई को आलेख की शक्ल भी दें ,तो और अच्चा रहेगा । रचना धर्मिता के प्रति आपकी ईमानदारी के लिए बधाई ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.com