tag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post8506004976280640715..comments2023-07-31T13:57:43.732+05:30Comments on कवितायन: जूड़े में गुथे सवालमुकेश कुमार तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-40968486155439779272009-03-22T08:57:00.000+05:302009-03-22T08:57:00.000+05:30तुम्हारी कुरेदी गयी लकीरों में चादर में बुनी गयी स...तुम्हारी कुरेदी गयी लकीरों में <BR/>चादर में बुनी गयी सिलवटों में <BR/>या चबाये गए तकिये के कोने में <BR/>इससे पहले कि <BR/>सुबह तुम फिर बटर लो उन्हें <BR/>और <BR/>गूँथ लो जुड़े में ........<BR/><BR/>मकेश जी बेहतरीन रचना .......बहोत सुंदर .... बहोत खूब .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-74772228201019750712009-03-21T12:43:00.000+05:302009-03-21T12:43:00.000+05:30निशब्द कर दिया है आपकी इस रचना ने मुझे ...सीधी स...निशब्द कर दिया है आपकी इस रचना ने मुझे ...सीधी सरल लफ्जों में जो बात आपने लिख दी है वह दिल में उतर गयी बहुत के दिल के करीब है यह ....एक स्त्री मन को इतनी सहजता से कैसे समझ लेते हैं आप कि वह कविता के रूप में यहाँ उतर जाती है ..बहुत सुन्दर ..बहुत बहुत बढ़िया ...संजो के रखने लायक ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-44020058694808598902009-03-19T23:20:00.000+05:302009-03-19T23:20:00.000+05:30आपकी कविता पर की गई टिप्पणी सर्वथा अधूरी थी। जानबू...आपकी कविता पर की गई टिप्पणी सर्वथा अधूरी थी। जानबूझकर उतना ही कहा था। शायद अधिक इसलिए नहीं कहा क्योंकि मेरे जूड़े में भी बहुत से प्रश्न गुँथे हुए हैं, प्रश्न जो शायद सदा अनुत्तरित रहेंगे। प्रश्न जिनके उत्तरों की अब शायद आशा भी नहीं रह गई है।<BR/>जूड़ा स्वयं ही शायद कमर कसने, साड़ी का पल्लू कमर में खोंसने की तरह सांकेतिक है। हो सकता है बिखराव को समेटने का, बहाव को रोकने का, विस्तार को समेटकर सीमित करने का या यह सब करके अपनी सीमाओं को पहचानने का।<BR/>कविता अच्छी लगी और मैंने कई बार पढ़ी। काव्य की कोई जानकारी नहीं है परन्तु जो मुझे दोबारा पढ़ने को प्रेरित करे वही मेरे लिए अच्छा है।<BR/>सबसे सरल सम्बोधन नाम का होता है। कुछ भी कहकर सम्बोधित कर सकते हैं।<BR/>वर्तनी की गल्ती के कारण पिछली टिप्पणी हटानी पड़ी।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-17448184338460991112009-03-19T23:17:00.000+05:302009-03-19T23:17:00.000+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-42767037569669745492009-03-18T23:52:00.000+05:302009-03-18T23:52:00.000+05:30बहुत सुन्दर !घुघूती बासूतीबहुत सुन्दर !<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com