tag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post6847774300173780333..comments2023-07-31T13:57:43.732+05:30Comments on कवितायन: आग, के साथ रहते हुयेमुकेश कुमार तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-90603439902232290532010-04-16T06:22:04.133+05:302010-04-16T06:22:04.133+05:30हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-27725108770219615082010-04-16T06:19:52.589+05:302010-04-16T06:19:52.589+05:30उसकी जिन्दगी में अपनी सारी तपन के साथ
वाह, शानदार...उसकी जिन्दगी में अपनी सारी तपन के साथ<br /><br />वाह, शानदार लाईन्स.. और एक बहुत ही अच्छी सोच..संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-30047075047046187972010-04-11T12:32:58.379+05:302010-04-11T12:32:58.379+05:30लीजिये हम तो झुलस गए. :)लीजिये हम तो झुलस गए. :)Rajeev Nandan Dwivedi kahdojihttps://www.blogger.com/profile/13483194695860448024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-18276397365265581942010-04-04T01:09:44.052+05:302010-04-04T01:09:44.052+05:30एक महीने से आपकी चुप्पी अब रहस्यमयी होती जा रही है...एक महीने से आपकी चुप्पी अब रहस्यमयी होती जा रही है ! जी. मेल पर भेजी गई मेरी चिट्ठी भी अनुत्तरित रह गई ! अब चिंता हो रही है ! अपना कुशल-क्षेम दें ! aadesh nahin, anugrah !!<br />सप्रीत--आ.आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-60973569404367100802010-03-15T09:31:13.613+05:302010-03-15T09:31:13.613+05:30हालांकि,
अब वह पहचानता है आग को
उसके नाम से
लेकि...हालांकि,<br />अब वह पहचानता है आग को <br />उसके नाम से <br />लेकिन, <br />अब भी यह नही समझ पाया है कि <br />उसके साथ रहते हुये भी कि<br />वह क्यों मौजूद है?<br />उसकी जिन्दगी में अपनी सारी तपन के साथ<br /><br />वाह, शानदार लाईन्स.. और एक बहुत ही अच्छी सोच..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-56391355166280015912010-03-07T12:25:39.592+05:302010-03-07T12:25:39.592+05:30जिस दिन,
आग ने दहलीज़ लांघी....
बहुत गहरी रचना .. ...जिस दिन,<br />आग ने दहलीज़ लांघी....<br />बहुत गहरी रचना .. भावों को बहुत अच्छे से अभिव्यक्त किया है आपने ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-49571263359166872142010-03-06T17:21:15.640+05:302010-03-06T17:21:15.640+05:30adbhut bhawnaaon ka aaweg haiadbhut bhawnaaon ka aaweg haiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-62716146484042627932010-03-05T23:59:19.358+05:302010-03-05T23:59:19.358+05:30अच्छी कविता है मुकेश जी । लिखते रहिये। शुभकामनायें...अच्छी कविता है मुकेश जी । लिखते रहिये। शुभकामनायें ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-56700739312368956322010-03-05T18:44:33.150+05:302010-03-05T18:44:33.150+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 06.03.10 की चिट्ठा चर्चा...बहुत अच्छी प्रस्तुति।<br />इसे 06.03.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।<br />http://chitthacharcha.blogspot.com/मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-38981196727808245542010-03-05T17:59:41.142+05:302010-03-05T17:59:41.142+05:30आग,
जब छटपटा रही थी
पत्त्थरों में कैद
तब आदमी अप...आग,<br />जब छटपटा रही थी <br />पत्त्थरों में कैद <br />तब आदमी अपने तलुओं में महसूस करता था<br />जलन / खुजली <br />और मान लेता था आग को <br />आग होने के लिये<br />आग फिर भी थी, आग आज भी है और शायद आगे भी रहेगी पर इसके मायने इसकी तंज, इसकी ज्वाला की दहक बदलती रही. <br />सुन्दर आगमय कविता <br />नमस्कार आपकोM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-31883582542031209032010-03-05T17:34:06.564+05:302010-03-05T17:34:06.564+05:30Harek shabd,harek pankti maynese ladee huee hai!Harek shabd,harek pankti maynese ladee huee hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-8733540543365437842010-03-05T17:17:30.943+05:302010-03-05T17:17:30.943+05:30आत्ममंथन करती हुई यह कविता पसंद आईआत्ममंथन करती हुई यह कविता पसंद आईSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-51601940563464838472010-03-05T17:07:50.492+05:302010-03-05T17:07:50.492+05:30तिवारी सर जी बहुत दिंनो बाद दर्शन दिए आपने , वापसी...तिवारी सर जी बहुत दिंनो बाद दर्शन दिए आपने , वापसी लाजवाब रही ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-58158688203569540752010-03-05T16:55:24.391+05:302010-03-05T16:55:24.391+05:30पुनः :
भाई तिवारीजी,
तगमा पहनने 'की' हसरत-...पुनः :<br />भाई तिवारीजी,<br />तगमा पहनने 'की' हसरत---पंक्ति में 'की' छूट गया है, जोड़ लें बन्धु !<br />सप्रीत--आ.आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-59476941127711247092010-03-05T16:51:26.673+05:302010-03-05T16:51:26.673+05:30"जिस दिन,
आग ने दहलीज़ लांघी....
हवा से आवारा..."जिस दिन,<br />आग ने दहलीज़ लांघी....<br />हवा से आवारापन... "<br />भाई तिवारीजी, लम्बे विराम के बाद आपकी कविता पर नज़र पड़ी... आप्यायित हुआ ! कविता इतना कुछ कहती है की सूत्र पकड़ने में वक़्त लग रहा है और प्रथम टिप्पणीकार का तगमा पहनने हसरत व्यग्र कर रही है ! इन पंक्तियों को पोस्ट कर दूँ, तो फिर से पढूं 'आग' को... महसूस करूँ ... !<br />होली का राम-सलाम भी रह गया इस बार !<br />सप्रीत--आ.आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.com