tag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post4567132313532046789..comments2023-07-31T13:57:43.732+05:30Comments on कवितायन: तुम क्यों नही पैदा करती कोई नाद?मुकेश कुमार तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-28438790080105972142009-10-01T06:52:44.298+05:302009-10-01T06:52:44.298+05:30बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आप...बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना बहुत अच्छी लगी! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-8985901174034543882009-09-30T19:49:47.786+05:302009-09-30T19:49:47.786+05:30आप सभी का दिल से आभारी हूँ, आपकी टिप्पणियों ने सदा...आप सभी का दिल से आभारी हूँ, आपकी टिप्पणियों ने सदा मेरा मार्गदर्शन किया है और अच्छा करने की प्रेरणा दी है।<br /><br />सादर,<br /><br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-42857041608417263472009-09-30T10:47:00.357+05:302009-09-30T10:47:00.357+05:30"एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म, जहाँ ज़..."एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म, जहाँ ज़रुरते ज़ेब से बड़ी और समझदारी उम्र से बड़ी होती है. उस पर चार भाई-बहनों में बड़ा होने के नाते कुछ ज्यादा ही जिम्मेदारियों का बोझ ढोते ज़वान हो जाना. जिन्दगी को करीब से लगभग सभी रंगो में देखा, जहाँ अभावो ने सदा हौसला बढ़ाया कि हासिल करने को और भी मुकाम है सा सब़क हर कदम पर याद रहा. कविता मुझे उर्जा देती है और अपनी मुश्किलों से जूझने का हौसला भी "<br /><br />तिवारी जी कविताएं तो आपकी सुन्दर होती ही है मगर सच कहू तो मुझे आपके ये अपने बारे में कहे "दो शब्द " बहुत ही अच्छे लगे, बधाई !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-47163978187537101292009-09-30T09:29:00.233+05:302009-09-30T09:29:00.233+05:30मुकेश जी ,
आपका जीवन दर्शन बहुत ही बेहतरीन कविता म...मुकेश जी ,<br />आपका जीवन दर्शन बहुत ही बेहतरीन कविता में खो जाने कोमन करता है . भाव बड़े गंभीर हैं .दिल से बधाई!!Prem Farukhabadihttps://www.blogger.com/profile/05791813309191821457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-79506481924218272362009-09-29T20:37:19.851+05:302009-09-29T20:37:19.851+05:30सुन्दर.सुन्दर.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-34717303810352768602009-09-29T19:59:25.367+05:302009-09-29T19:59:25.367+05:30दशहरे की शुभकामनाएँ, बहुत सुन्दर काव्य हैदशहरे की शुभकामनाएँ, बहुत सुन्दर काव्य हैVinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-18601720470348387782009-09-29T14:19:44.643+05:302009-09-29T14:19:44.643+05:30bahut sunder abhivyakti hai.bahut sunder abhivyakti hai.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-85803426188481065232009-09-28T15:41:30.884+05:302009-09-28T15:41:30.884+05:30अब समझ गया की शब्द से पीछा छुदन कोई आसन कम नहीं, इ...अब समझ गया की शब्द से पीछा छुदन कोई आसन कम नहीं, इतिहास गवाह है की शब्द-वेधी बाण ने क्या कुछ कर दिया था......<br /><br />सुन्दर गहरे भाव से सराबोर आपकी यह रचना ह्रदय को छू गई.<br />हार्दिक बधाई.<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्त <br />जयपुर<br />www.cmgupta.blogspot.comMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-24948321169088220392009-09-28T13:36:22.429+05:302009-09-28T13:36:22.429+05:30लेकिन शब्द तब भी गूंजेंगे /
तुम्हारा पीछा करेंगे ...लेकिन शब्द तब भी गूंजेंगे / <br />तुम्हारा पीछा करेंगे <br />तुम क्यों नही पैदा करती कोई नाद?<br />======= <br />शब्द के प्रतिउत्तर मे पैदा करो नाद,<br />शायद संवेदनाएँ करने लगे अनुनाद्.<br />bahut sundar .happy dashhara .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-8718706916315600302009-09-28T10:47:59.194+05:302009-09-28T10:47:59.194+05:30इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घण...इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-40752387506746643842009-09-28T00:58:16.979+05:302009-09-28T00:58:16.979+05:30तिवारीजी,
निःसंदेह, यह आपकी श्रेष्ठ कविताओं में से...तिवारीजी,<br />निःसंदेह, यह आपकी श्रेष्ठ कविताओं में से एक सिद्ध होगी ! बात कहने का आपका तौर निराला है, पहले भी लिख चुका हूँ; लेकिन इस कविता में छोटे-से तत्त्व को आपने जिस कुशलता से विराट से जोड़ दिया है, वह काव्य-कला का अनुपम उदाहरण है! अपनी बात के प्रमाण में मैं कई पंक्तियाँ उधृत कर सकता हूँ इस कविता से; लेकिन मेरे कथन का आशय आप समझ गए होंगे, इसका विश्वास है मुझे ! सप्रीत... आ.आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-32527373926217310472009-09-27T22:47:23.234+05:302009-09-27T22:47:23.234+05:30विचारों का शब्दों में बदलने के पहले ही शब्दों को प...विचारों का शब्दों में बदलने के पहले ही शब्दों को पहिचान लेना ,सुंदर भी आलंकारिक भी |पानी में शब्द बदलने के पूर्व ही रोक देना और आँखों में रहकर काजल में घुल कर गलों पर बहना,पीछा करते हुए शब्दों से छुपना और अंतिम अति सुंदर कि कोई नाद क्यों पैदा नहीं करती जिसमे कचोटते शब्द विलीन हो जाएँ वकौल के शायर ""हंसो आज इतना कि इस शोर में सदा सिसकियों की सुनाई न दे ""BrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-12297199726237016472009-09-27T13:51:48.610+05:302009-09-27T13:51:48.610+05:30शब्द को इतने प्यारे तरीके अभिव्यक्त किया आपने की आ...शब्द को इतने प्यारे तरीके अभिव्यक्त किया आपने की आपकी तारीफ के लिए मेरे पास शब्द नही है .मुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-63950254080381486802009-09-27T05:32:00.737+05:302009-09-27T05:32:00.737+05:30mukesh ji , aapka mere blog par aane comment karne...mukesh ji , aapka mere blog par aane comment karne ke liye hardik dhanyawaad.<br /><br />aapki rachna adbhut lagi , bahur sunder abhivyakti. badhaai.Yogesh Verma Swapnhttps://www.blogger.com/profile/01456159788604681957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-79546085764515076582009-09-26T21:15:34.888+05:302009-09-26T21:15:34.888+05:30या घुल जायें तुम्हारे काजल मे और बहें गालों पर और ...या घुल जायें तुम्हारे काजल मे और बहें गालों पर और जिन्दा रहें लकीर बन कर तुम्हारे गालों पर <br />बहुत सुन्दर और नये अंदाज़ मे पूरी रचना भावमय है बधाई नवमी और् विजय दशमी की बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-67969221488934921022009-09-26T18:59:12.899+05:302009-09-26T18:59:12.899+05:30तुम क्यों नही पैदा करती कोई नाद?
kahaan jayegi n...तुम क्यों नही पैदा करती कोई नाद?<br /><br /><br />kahaan jayegi nad paida karke ....?<br /><br />sunder rachna ....bhav mein gahrai ...achhi lagi ....!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-65994041820058635542009-09-26T17:30:48.011+05:302009-09-26T17:30:48.011+05:30मुकेश जी आपके ब्लॉग पर देर से पहुचा माफी .
आपको दश...मुकेश जी आपके ब्लॉग पर देर से पहुचा माफी .<br />आपको दशहरा की शुभकामनायेMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-50411603319297295082009-09-26T16:55:30.728+05:302009-09-26T16:55:30.728+05:30भाई,
निम्न पंक्तियाँ पहाड़ों की याद दिला देती है ज...भाई,<br /><br />निम्न पंक्तियाँ पहाड़ों की याद दिला देती है जहाँ खाली दिमाग होने पर भी हवा कान में सीटियाँ बजाती है :-<br /><br />तुम क्यों नही पैदा करती कोई नाद? <br />जिसमे विलीन हो जायें तुम्हें कचोटते शब्द <br />और तुम महसूस कर सको <br />हवा को तुम्हारे कानों में सीटियाँ बजाते किसी दिन<br /><br /><br />जीतेन्द्र चौहानगुंजनhttps://www.blogger.com/profile/17636085931916258349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-25716362860598268762009-09-26T13:34:43.799+05:302009-09-26T13:34:43.799+05:30तुम,
तलाशती हो कोई कोना अपने ही अंतर
कि जहाँ तुम छ...तुम,<br />तलाशती हो कोई कोना अपने ही अंतर<br />कि जहाँ तुम छिप सको पीछा करते हुये शब्दों से<br />जो खोज रहे हैं तुम्हें<br />तुम्हारे होने से लेकर आजतक<br />और गूंज रहे हैं अनुनाद बनकर तुम्हारे ख्वाबों में<br />तुम खुद को मिटा लोगी एक दिन<br />लेकिन शब्द तब भी गूंजेंगे / <br /><br />मुझे यह पंकितयां बहुत पसंद आई मुकेश जी ....एक तलाश हमेशा दिल में बनी ही रहती है पर उसके होने का एहसास सिर्फ ख्वाब बना रहता है ..सच को कहती है यह सुन्दर पक्तियां ..सही में तुम मैं और जीवन बीत जाता है पर शब्द वही रह जाते हैं ..शुक्रिया इतनी सुन्दर रचना पढ़वाने के लिएरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-85556149069197217232009-09-26T13:22:54.509+05:302009-09-26T13:22:54.509+05:30स्वीकारोक्ति: यह मैं-तुम-शब्द-संप्रेषण के समीकरण स...स्वीकारोक्ति: यह मैं-तुम-शब्द-संप्रेषण के समीकरण समझ नहीं आते!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-45800583208778193202009-09-26T11:27:55.010+05:302009-09-26T11:27:55.010+05:30कि शब्द बदल सकें पानी में .niceकि शब्द बदल सकें पानी में .niceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-22801209642225236082009-09-26T05:18:57.660+05:302009-09-26T05:18:57.660+05:30तुम,
रोक देना चाहती हो
कि शब्द बदल सकें पानी में ...तुम,<br />रोक देना चाहती हो <br />कि शब्द बदल सकें पानी में <br />और बने रहे तुम्हारी आँखों में <br />या घुल जाये काजल में <br />और बहे तुम्हारे गालों पर .......<br /><br />बहुत लाजवाब लिखा है .......... मन में उठते दर्द को छुपाने की कोशिश को ........... उस दर्द को दबाने का प्रयास ........... कमाल का लिखा है ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-66808174872463676532009-09-26T01:44:57.257+05:302009-09-26T01:44:57.257+05:30Aapne jo ek naad paida kar diya..aur kya zaroorat ...Aapne jo ek naad paida kar diya..aur kya zaroorat kisee nadkee? Is naad se nishabd kar diya..kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-83249703841785366742009-09-26T01:13:11.187+05:302009-09-26T01:13:11.187+05:30सुन्दर अभिव्यक्ति ।सुन्दर अभिव्यक्ति ।Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8473626538363608449.post-27365383603573662142009-09-25T23:55:10.829+05:302009-09-25T23:55:10.829+05:30कि शब्द बदल सकें पानी में
और बने रहे तुम्हारी आँखो...कि शब्द बदल सकें पानी में<br />और बने रहे तुम्हारी आँखों में<br />या घुल जाये काजल में<br />और बहे तुम्हारे गालों पर<br />फिर सूखते हुये जिन्दा रहें लकीरों में<br />शब्दों में छिपे बादल के टुकड़े को तुम जैसे पहचान लेती हो<br />और बदल जाती पत्थर में <br /><br />कविता सीधी अंतस् पर मार करती है..हमारा मनोवृत्ति ही हमारा अभयारण्य भी होती है और चिड़ियाघर भी..और हमारी अपनी भावनाएं ही ढ़केल देती हैं हमे किसी अंधेरी गर्त मे..<br />निस्संदेह आज पढी सबसे बेहतरीन रचनाओं मे से एक..आभार.अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.com